"सुख समृद्धि देता है महालक्ष्मी व्रत, जानिए कैसे करें jyotishacharya . Dr Umashankar mishr- jyotishacharya aakansha shrivtastav-9415087711_9140953694 भाद्रपद कृष्ण अष्टमी से पितृ पक्ष में आश्विन शुक्ल अष्टमी तक के 16 दिन महालक्ष्मी का व्रत किया जाता है। यह महालक्ष्मी का रहस्यमयी व्रत है। 16 दिन तक इस व्रत को करने से महालक्ष्मी की कृपा शुरु हो जाती" भाद्रपद कृष्ण अष्टमी से पितृ पक्ष में आश्विन शुक्ल अष्टमी तक के 16 दिन महालक्ष्मी का व्रत किया जाता है। यह महालक्ष्मी का रहस्यमयी व्रत है। 16 दिन तक इस व्रत को करने से महालक्ष्मी की कृपा शुरु हो जाती है। घर में धन-धान्य, सुख समृद्धि बढ़ती है, ऐसा शास्त्रीय वचन है। यद्यपि लक्ष्मी जी का व्रत शुक्रवार को किया जाता है किंतु वर्ष में एक बार महालक्ष्मी की आराधना का पक्ष होता है। इसे महालक्ष्मी पक्ष बोलते हैं। भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक महालक्ष्मी को नियमित पूजा करने से लक्ष्मी मां प्रसन्न होती हैं। सर्वप्रथम प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर अपने घर के मंदिर में ही या उसके आसपास लकड़ी के पटरे या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर कलश स्थापना करें। कलश को कलावे से बांधे। कच्चा नारियल और आम के पत्तों के स्थान पर आठ पान के पत्ते नारियल के नीचे रखें जो अष्टलक्ष्मी के प्रतीक हैं और महालक्ष्मी की मूर्ति रखें। लक्ष्मी जी के विशेष मंत्रों से मां का आह्वान करें। इन दिनों में मां की अष्ट सिद्धियों की पूजा लक्ष्मी के रूप में होती है। घर में पति-पत्नी दोनों ही पूजा एवं व्रत कर सकते हैं। नियमित रुप से सफेद मिष्ठान्न, किशमिश, मिश्री अथवा पंचमेवा का भोग लगाएं। आरती करें। 16 दिन तक व्रत कर सकते हो तो बहुत अच्छा है और यदि व्रत नहीं कर सकते तो अष्टमी, पूर्णिमा और फिर अष्टमी अर्थात तीन दिन का व्रत करने से ही मां लक्ष्मी के व्रत पूर्ण हो जाते हैं, लेकिन इन दिनों पूरे नियम, संयम, आचार-विचार खानपान की शुद्धता का ध्यान रखना पड़ता है। मां लक्ष्मी को स्वच्छता प्रिय है। इसलिए घर का वातावरण पवित्र और स्वच्छ हो ऐसा ध्यान रखें। श्रीसूक्त का पाठ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना गया है। अष्ट लक्ष्मी के मंत्र का पाठ भी नियमित करना चाहिए। यह इस प्रकार से हैं।ओम् कामलक्ष्म्यैनमः। -ओम् आद्यालक्ष्म्यै नमः। -ओम् सत्यलक्ष्म्यै नमः। -ओम् योगलक्ष्म्यै नमः । -ओम भोगलक्ष्म्यै नमः । -ओम् विद्यालक्ष्म्यै नमः। -ओम् अमृतलक्ष्म्यै नमः। -ओम् सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः:।महालक्ष्मी पूजन के विशेष मुहूर्त इस वर्ष तीन सितंबर को subah 09:39 बजे अष्टमी आरंभ । इनका समापन 18 सितंबर को sayyam4: 39 Tak । लक्ष्मी मां की पूजा प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में करें अथवा मध्यान्ह 11:30 से 12:30 तक अभिजीत मुहूर्त में करनी चाहिए। शाम को भोग, आरती आदि व्यवस्था अवश्य करें। मानसिक जाप भी आवश्यक है। व्रत की इस अवधि में किसी का बुरा ना चाहें। सत्य वचन का पालन करें। किसी की बुराई ना करें और अधिकतर मौन रहे और मन में यह कामना करें कि महालक्ष्मी हाथी पर सवार होकर हमारे घर पधार चुकी हैं। इस प्रकार व्रत करने से साधक की इच्छाएं निश्चित ही पूर्ण होती हैं। इस 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन आश्विन कृष्ण अष्टमी को होता है। सफेद मिष्ठान्न, खीर एवं किशमिश आदि से युक्त भोजन बनाकर किसी सौभाग्यशाली महिला को भोजन कराएं। उनको सुंदर वस्त्र ,साड़ी, श्रृंगार सामग्री दान करें और महालक्ष्मी की व्रत का समापन करें। महालक्ष्मी के व्रत के आरंभ करने के साथ-साथ इस दिन राधाष्टमी भी है। *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र आकांक्षा श्रीवास्तव*9415 087711