ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 9415 087 711 आंवला किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा। 👉 मेथी मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी और जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा। 👉 नेत्र स्नान मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोये। ऐसा दिन में तीन बार करे। जब भी पानी के पास जाए मुंह में पानी का कुल्ला भर ले और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये। मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले। मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहे। भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे। आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर चेहरा व कानो तक मले। इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं। नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं। 👉 शौच ऐसी आदत डाले के नित्य शौच जाते समय दाँतो को आपस में भींच कर रखे। इस से दांत मज़बूत रहेंगे, तथा लकवा नहीं होगा। 👉 छाछ तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं। 👉 सरसों तेल सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे। इस से कान स्वस्थ रहेंगे। 👉 निद्रा दिन में जब भी विश्राम करे तो दाहिनी करवट ले कर सोएं। और रात में बायीं करवट ले कर सोये। दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी, और बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर अर्थात सूर्य स्वर चलेगा। 👉 ताम्बे का पानी रात को ताम्बे के बर्तन में रखा पानी सुबह उठते बिना कुल्ला किये ही पिए, निरंतर ऐसा करने से आप कई रोगो से बचे रहेंगे। ताम्बे के बर्तन में रखा जल गंगा जल से भी अधिक शक्तिशाली माना गया हैं। 👉 सौंठ सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए। रात को सोने से पहले यह पिए। बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं। सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये। 👉 टाइफाइड चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से टाइफाईड नहीं होता। 👉 चंद्रप्रभा वटी के 10 जबरदस्त फायदे ★ चंद्रप्रभा वटी, को 37 पदार्थों के योग से बनाया गया है। यह एक बहुत ही लोकप्रिय और प्रभावी दवा है जो की बहुत से रोगों में दी जाती है। 'चंद्र' का मतलब है चंद्रमा और 'प्रभा' का मतलब है चमक। तो इसका शाब्दिक अर्थ है वो दवा या टेबलेट जो शरीर में चमक लाए। ये दवा कई नामी आयुर्वेदिक कंपनियों द्वारा निर्मित की जाती है। ★ चंद्रप्रभा वटी को मधुमेह और मूत्र रोगों में प्रयोग किया जाता है। यह मूत्रेंद्रिय और वीर्य-विकारों की सुप्रसिद्ध औषधी है। इसका उपयोग शरीर में चमक लाता है और बल, ताकत और शक्ति बढती है। ★ यह दवा बलवर्धक, पोषक, कांतिवर्धक, और मूत्रल है। ★ चंद्रप्रभा वटी सूजाक के कारण होने वाली दिक्कतों को नष्ट करती है। पुराने सूजाक में इसका उपयोग होता है। सूजाक के कारण होने वाले फोड़े, फुंसी, खुजली आदि में इस दवा को चन्दनासव या सारिवाद्यासव के साथ दिया जाता है। ★ यह दवा शरीर से विष को निकालती है और धातुओं का शोधन करती है। ★ किसी कारण से जब शुक्रवाहिनी और वातवाहिनी नाड़ियाँ कमज़ोर हो जाती हैं तब इस स्थिति में वीर्य अपने आप ही निकल जाता है जैसे की स्वप्नदोष (night fall) पेशाब के साथ वीर्य जाना (discharge of semen with urine ) ऐसे में इस दवा को गिलोय के काढ़े के साथ दिया जाना चाहिए। यह दवा पुरुष जननेंद्रिय विकारों में अच्छा प्रभाव दिखाती है। ★ इस का प्रयोग स्त्री रोगों gynecological problems में भी होता है। यह गर्भाशय को शक्ति देती है और उसकी वकृति को दूर करती है। ★ सुजाक, उपदंश आदि में यह प्रभावी है। ★ स्त्रियों में होने वाले अन्य समस्यों जैसे की पूरे शरीर में दर्द (full body pain), मासिक में दर्द , १०-१२ दिनों का मासिक धर्म आदि में यह दवा अशोक घृत के साथ दी जाती है। ★ मूत्र रोगों में जैसे की बहुमूत्र, मूत्रकृच्छ, मूत्राघात , मूत्राशय में किसी तरह की विकृति, पेशाब में जलन (burning sensation while urination), पेशाब का लाल रंग, पेशाब में दुर्गन्ध, पेशाबी में चीनी (sugar in urine), श्वेत प्रदर, किडनी की पथरी (kidney stones ), पेशाब में एल्ब्यूमिन, रुक रुक के पेशाब आना, मूत्राशय की सूजन (inflammation of urinary bladder), आदि में ये बहुत ही अच्छा प्रभाव दिखाती है। ★ जब मूत्र कम मात्रा में बने और मूत्राघात हो तो इसका प्रयोग पुनर्नवासव या लोध्रासव के साथ किया जाता है। ★ वात के अधिक होने पर कब्ज़ और मन्दाग्नि हो जाती है जो ज्यादा दिन रहने पर भूख न लगना, अपच, ज्यादा प्यास, कमजोरी आदि दिक्कतें पैदा करती हैं। इसमें में भी इस दवा का प्रयोग अच्छा असर दिखाता है। 🌻हल्दी १०० ग्राम, मेथीदाना १०० ग्राम और आँवला २०० ग्राम – तीनों को पीसकर काँच की शीशी में भरकर रखें | ५ – ५ ग्राम मिश्रण सुबह-शाम गुनगुने पानी से लेने से कंधे, घुटने, कमर एवं जोड़ों के दर्द में आराम मिलता हैं | 🌻अजवायन और काला नमक समभाग बारीक पीसकर रखें | पेट में गैस अथवा दर्द होने पर ३ ग्राम मिश्रण फाँक के ऊपर से गुनगुना पानी पीने से राहत मिलती हैं |