गुरू पूर्णिमा 2020 : गुरु की पूजा से चमकाएं अपना भाग्य गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर, गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:।। अर्थात- गुरू ही ब्रह्मा है, गुरू ही विष्णु है और गुरू ही भगवान शंकर है। गुरू ही साक्षात परब्रह्म है, ऐसे गुरू को मैं प्रणाम करता हूं। गुरु पूर्णिमा का महत्व जानिए ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 9415 087 711 आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु की पूजा का दिन है। इस साल यह दिन 5 जुलाई को आने वाला है। महाभारत के रचियता महर्षि वेद व्यास का जन्मदिन होने के कारण इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध ने प्रथम बार अपना उपदेश दिया था। इस दिन गुरु वंदना करके उनका आशीर्वाद लिया जाता है। उनके चरण पखार, उनकी पूजा-अर्चना कर उनका आशीष लिया जाता है। कई जगह इस दिन से बच्चों की शिक्षा भी शुरू की जाती है। गुरू पूर्णिमा को ही चंद्रग्रहण भी इस वर्ष 5 जुलाई (मंगलवार) को गुरु पूर्णिमा का पर्व आ रहा है। संयोगवश इसी दिन चन्द्रग्रहण भी है जो इस दिन को विशेष महत्व दे रहा है। चंद्रग्रहण का सूतक मंगलवार को शाम 4 बजे बाद लग जाएगा अतः उस समय के बाद गुरू का पूजन वर्जित माना गया है। ऐसे करें गुरू का पूजन इस दिन शिष्य को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन गुरू की पूजा करनी चाहिए। उन्हें पुष्पमाला पहनाएं, कपूर के दीपक से उनकी आरती उतारें तथा नारियल, वस्त्र, मिठाई आदि भेंट करें। उनके चरण पखार कर उसे चरणामृत रूप में पान करें। पूजा में यथासंभव सफेद, पीले अथवा हल्के रंगों के वस्त्र पहनें। यदि आप गुरु की पूजा के लिए कहीं बाहर नहीं जा पा रहे हैं, तो उनके चित्र को साक्षात गुरु को समझ पूजा करनी चाहिए। वहीं यदि अभी तक आपको कोई योग्य गुरु नहीं मिले हैं, तो आप अपने इष्टदेव या भगवान शिव या भगवान कृष्ण को अपना गुरु बना सकते हैं। उनकी गुरु के समान पूजा कर सकते हैं। गुरू पूजा से होते हैं ये लाभ ज्योतिष में गुरु को विस्तार का कारक ग्रह भी माना गया है। यदि गुरु का आशीर्वाद मिल जाएं, तो धन, दौलत के साथ सुखी जीवन प्राप्त करने में दिक्कत नहीं होती है। गुरु पूजा के चलते दुष्टग्रहों के बुरे परिणाम भी खत्म होते हैं। वहीं जीवन में अच्छी दशा की शुरुआत हो जाती है। गुरु पूजा से भौतिक के साथ आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 9415 087 711 92 357 22996 astroexpertsolution.com