Aaj 30 जून को गुरु का राशि परिवर्तन, ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व और उपाय Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 Aaj 30 जून को सबसे शुभ ग्रह माने जाने वाले ग्रह बृहस्पति राशि बदलने वाले हैं। गुरु अब मकर राशि को छोड़कर धनु राशि में आ आएंगे। खास बात यह है कि गुरु वक्री होते हुए ही Aaj 30 जून को धनु राशि में आ जाएंगे। इसके बाद अब पुनः गुरु मकर राशि में 20 नवंबर को प्रवेश करेंगे और वर्ष पर्यंत उसी राशि में विचरण करेंगे। धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति कर्क राशि में उच्च तथा मकर राशि में नीचराशिगत माने गए हैं।ज्योतिष में गुरु को ज्ञान, शिक्षा, धन वृद्धि और धार्मिक कार्य का कारक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों पर बृहस्पति ग्रह की कृपा और आशीर्वाद रहता है उस व्यक्ति का के गुणों में सात्विक विचार का संचार होता है। इसके अलावा जिन व्यक्तियों  की कुंडली में गुरु ग्रह का गोचर उनकी जन्म राशि के दूसरे, पांचवें, सातवें,नौवें और ग्यारहवें में होता है उनके लिए गुरु शुभ फल प्रदान करते हैं। जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत भाव में होते हैं उनके जीवन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होती है। लग्न भाव में देव गुरु ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन व्यक्तियों के लग्न भाव में देव गुरु विराजमान रहते हैं वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली और आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। ऐसा व्यक्ति ज्ञानी और उच्च शिक्षित होता है। कुंडली में मजबूत गुरु का प्रभाव जिन जातकों की कुंडली में गुरु बलवान होता उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है। इनके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। हर जगहों पर इनका मान-सम्मान होता है। कुंडली में कमजोर गुरु का प्रभाव अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु कमजोर होता है उसके आर्थिक विकास की गति धीमी रहती है। कमजोर गुरु होने से व्यक्ति को नौकरी और विवाह में परेशानियां आती है। गुरु और रोग ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह पेट से सबंधित बीमारियों के होने का संकेत देता है। गुरु और कार्यक्षेत्र आभूषण, अध्यापन, पीली वस्तुओं के व्यापार से संबंधित और संपादन कार्यों से संबंध होता है। गुरु का रत्न पुखराज होता है।बृहस्पतिवार के दिन अपने हाथों में पीले फूल लेकर बृहस्पति देवता का आवाहन करें। साथ ही बृहस्पति देवता के मंत्र, बीज मंत्र, बृहस्पति गायत्री एवं बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करें। इन चीजों का करें दान  देवगुरु बृहस्पति के पूजन के पश्चात् पीले वस्त्र, फल, चना, गुड़ चने की दाल आदि का दान करें। यदि सक्षम हों तो पुखराज रत्न, स्वर्ण का दान भी कर सकते हैं।  इस व्रत से शीघ्र प्रसन्न होंगे देवगुरु बृहस्पति देवता की कृपा पाने के लिए आप उनका व्रत रख सकते हैं। यह व्रत शुक्लपक्ष के पहले बृहस्पतिवार से प्रारंभ किया जाता है। जिसे कम से कम 16 या फिर अपनी मनोकामना को पूरी होने तक रखा जाता है। व्रत के दिन केले के पेड़ का पूजन करें और दिन में एक बार ही भोजन करें।