Devshayani Ekadashi 2020: चार्तुमास में नहीं होंगे शुभ कार्य, जानें कब से हो रहे हैं शुरू
चार्तुमास आरंभ होने वाले हैं. चार्तुमास शुरू होने में बस कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. ऐसे में जो भी मांगलिक कार्य हैं उन्हें पूरा कर लें. क्योंकि इस तिथि के बाद भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पाताल लोक चले जाएंगे.
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
ज्योतिषाचार्य आकांक्षा
श्रीवास्तव ने बताया की
1 जुलाई को एकादशी तिथि है. इस एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु पाताल लोक विश्राम करने चलें जाएंगे. यहां पर भगवान विष्णु चार माह तक विश्राम करें. भगवान का अपने शयन में जाने के कारण ही इस तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं. इसके अतिरिक्त इस एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, हरिसैनी एकादशी और वंदना एकादशी भी कहा जाता है.
ये कार्य रहेंगे वर्जित
चार्तुमास में किसी भी शुभ कार्य को करना अच्छा नहीं माना गया है. इन चार महीनों में शादी विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीद और नामकरण संस्कार जैसे धार्मिक कार्य वर्जित मानें गए हैं
कब से कब तक रहेगा चार्तुमास
पंचांग के अनुसार 1 जुलाई से लेकर 24 नवंबर तक चार्तुमास रहेगा. चार्तुमास की समाप्ति 25 नवंबर को देवउठानी एकादशी को होगी. देवउठानी का अर्थ है देव का उठना यानि इस दिन भगवान विष्णु अपने शयन से बाहर आ जाएंगे. इसके बाद पुन: शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे.
चार्तुमास में क्या करना चाहिए जानिए ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा
श्रीवास्तव से
चार्तुमास का हिन्दू धर्म विशेष महत्व बताया गया है. चार्तुमास में ध्यान, तप और साधना करनी चाहिए. इस मास में दूर की यात्राओं से भी बचने के लिए कहा गया है. घर से बाहर तभी निकलना चाहिए जब जरूरी हो. वर्षा ऋतु के कारण कुछ ऐसे जीव-जंतु सक्रिय हो जाते हैं जो हानि पहुंचा सकते हैं. इस मास में व्यक्ति को खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए और अनुशासित जीवनशैली को अपनाना चाहिए.
इन चीजों का सेवन न करें
चार्तुमास में सावन के महीना विशेष महत्व है. सावन चातुर्मास का पहला महीना है. इस माह में हरी सब्जी़, इसके दूसरे माह भादौ में दही,तीसरे माह आश्विन में दूध और चौथे माह में कार्तिक में दाल विशेषकर उड़द की दालनहीं खाना चाहिए. इसके अलावा मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाना चाहिए.
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
ज्योतिषाचार्य आकांक्षा
श्रीवास्तव*
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