सूर्य ग्रहण के बाद 22 जून से शुरू होगी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र, सालभर में चार बार ऋतुओं के संधिकाल में आता है देवी पूजा का नौ दिवसीय पर्व
22 से 29 जून तक रहेगी नवरात्र, इन दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की जाती है पूजा
सोमवार, 22 जून से 29 जून तक आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र रहेगी। लखनऊ के *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
ज्योतिषाचार्य आकांक्षा
श्रीवास्तव*के अनुसार सालभर में चार बार ऋतुओं के संधिकाल में नवरात्र आती है।
आषाढ़ और माघ मास की नवरात्र गुप्त मानी जाती है। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्र सामान्य होती है। ऋतुओं के संधिकाल में मौसमी बीमारियों का असर बढ़ जाता है। इस समय में खान-पान से संबंधित सावधानी रखनी चाहिए। नवरात्र में व्रत-उपवास करने से खान-पान के संबंध में होने वाली लापरवाही से बचा जा सकता है। इन दिनों में ऐसे खाने से बचना चाहिए, जो आसानी से पचता नहीं है। अधिक से अधिक फलाहार करना चाहिए।
देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा
जो भक्त गुप्त नवरात्र मेंदेवी दुर्गा की सामान्य पूजा करना चाहते हैं, वे देवी दुर्गा की या उनकेनौ स्वरूपों की पूजा भी कर सकते हैं। ये नौ स्वरूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री। मुख्य रूप से गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ये पूजा पूरे विधि-विधान से करनी होती है, अन्यथा पूजा का बुरा असर भी हो सकता है। इसीलिए गुप्त नवरात्र में विशेष पूजा किसी योग्य पंडित के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए।
गुप्त नवरात्र में होती है दस महाविद्याओं की पूजा
गुप्त नवरात्र में विशेष रूप से दस महाविद्याओं की आराधना की जाती है। ये दस महाविद्याएं हैं- काली, तारा देवी, त्रिपुर-सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरी भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी व कमला देवी।
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
ज्योतिषाचार्य आकांक्षा
श्रीवास्तव*
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