♦प्रातःस्मरण
🍁जय माँ भगवती🍁
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव॥
नतेभ्यःसर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते॥
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहिविश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य॥
♦ज्योतिष-शुक्र ग्रह
-सौर परिवार का सबसे चमकीला ग्रह शुक्र दूरबीन से देखने पर सफ़ेद प्रतीत होता है|
-शुक्र महर्षि भृगु के पुत्र हैं,जो दैत्यों और राजा बलि के गुरू बने|
-उनकी पत्नी का नाम सुषुमा और पुत्री का नाम देवयानी था|
-हरिवंश पुराण की कथा है कि शुक्र ने शिव से असुरों की रक्षाऔर ईश्वर विजय का उपाय पूछा है|
-उन्होंने हजारों वर्षों तक तप किया|
-जब देवों और दैत्यों में युद्ध हुआ तब विष्णु ने शुक्र की माता का वध किया,इस पर शुक्र ने विष्णु को शाप दिया कि वे पृथ्वीं पर सात बार मनुष्य रूपमें जन्म लें|
-शुक्र ने अपनी माता को फिर से जीवित कर लिया क्योंकि वे संजीवनी विद्या के ज्ञाता थे|
-यह विद्या उन्होंने देवयानी के माध्यम से यच को सिखायी थी|
-शिव के वरदान के लिए उन्होंने हजारों वर्षों से भी अधिक वर्षों तक तप किया तब ये विधा प्राप्त हुई थी।
♦प्रातःस्मरण
🍁सरस्वती-प्रार्थना🍁
"या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैःसदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥"
"शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥"
🙏जय माँ🙏
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