शनि जयंती पर 30 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि Jyotishacharya . Dr Umashankar mishr 9415 087711 9235722 996 ज्येष्ठ मास की अमावस्या को ही सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था अतः प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास में शनि देव की जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों एवं सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था तभी से ये दिन शनि जयंती या शनि जन्मोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है शनि देव के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विधि-विधान के साथ शनि देव की उपासना करते हैं।इस दिन शनि ग्रह की महादशा,साढ़ेसाती,ढैय्या या कुंडली में शनि के दुष्प्रभाव से पीड़ित व्यक्ति को विशेष उपाय करने से शनि दोष से भी छुटकारा मिलता है।इस बार शनि जयंती Aaj सोमवार 30 मई को मनाई जाएगी शनि जयंती पर इस बार एक विशेष संयोग भी बन रहा है। शनि जयंती पर 30 साल बाद सोमवती अमावस्या एवं सर्वार्थसिद्धि योग का अद्भुत संयोग इस वर्ष शनि जंयती का पर्व अत्यधिक महत्व पूर्ण माना जा रहा है शनि जयंती के दिन सोमवती अमावस्या और वट सावित्री का त्योहार भी मनाया जाएगा। ऐसा संयोग लगभग 30 साल बाद बन रहा है क्योंकि इस समय चंद्रमा बृष राशि एवं शनि देव अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विचरण कर रहे हैं साथ ही सर्वार्थसिद्ध योग भी है। शनि जयंती का शुभ मुहूर्त शनि जयंती सोमवार 30 मई को मनाई जाएगी पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि रविवार 29 मई को दोपहर - 02 : 23 मि. से प्रारंभ होकर सोमवार 30 मई को शाम 03 : 40 मि. पर समाप्त होगी। पूजन विधि शनि जयंती पर शनि देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।इस दिन सुबह उठकर तैलाभ्यांग स्नान करें।और शनिदेव को तेल,फूल-माला, प्रसाद अर्पित करें उनके चरणों में काली उड़द और तिल चढ़ाएं इसके बाद तेल का दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लेकर शनि चालीसा,स्तुति का पाठ,जप करें। शनि जयंती के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराना अधिक फलदायी माना जाता है इस दिन दान-धर्म के कार्य करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।आमतौर पर लोगों में शनिदेव को लेकर डर देखा जाता है कई ऐसी धाराणाएं बनी हुई हैं कि शनि देव सिर्फ लोगों का बुरा करते हैं परन्तु सत्य इससे बिल्कुल परे हैं शास्त्रों के अनुसार शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसकी सजा तय करते हैं। शनि की साढ़ेसाति और ढैय्या मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही उसे फल देती है। शनि मंत्र का करें जाप "ॐ शं शनैश्चराय नमः"  ॐ नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं। छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। उपरोक्त मंत्र का स्वयं जप करें अथवा किसी योग्य विद्वान से करायें।बताये गये इन उपायों से लाभ अवश्य प्राप्त होता है।