ज्योतिष शास्त्र में शनि जयंती 2022 का काफी महत्व है, क्योंकि शनि ग्रह ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, शनि की दशा जातक के लिए सुख और दुख दोनों लेकर आती है। यही कारण है कि ज्योतिष में शनि को काफी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसी के साथ साल 2022 में 30 मई 2022 को शनि जयंती मनाई जाएगी। Jyotishacharya Dr Umashankar mishr 9415 087 711 9235 722 996 आपको बता दें कि भगवान शनि का जन्म ज्येष्ठ माह में अमावस्या के दिन हुआ था। और ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। यही कारण है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि देव का पूजन-अर्चन किया जाता है। शनिदेव को कर्म फलदाता, दंडाधिकारी और न्यायप्रिय माना जाता है। इसी के साथ शनि देव अपनी दृष्टि से किसी भी जातक को राजा से रंक और रंक से राजा बना सकते हैं। इसीलिए ज्योतिष में शनि देव काफी महत्वपूर्ण माने जाते है। हिंदू धर्म में शनि एक देवता भी है और ग्रहों में प्रमुख एक ग्रह भी माने जाते हैं, जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में बहुत अधिक महत्व प्राप्त हुआ है। और शनि देव को सूर्य देव का पुत्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जेष्ठ माह की अमावस्या को ही सूर्य देव एवं छाया की संतान के रूप में शनि देव का जन्म हुआ था। और जेष्ठ माह की अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। शनि जयंती 2022 का महत्व शनि जयंती इस वर्ष सोमवती अमावस्या और सर्वार्थ सिद्धि योग का सहयोग बना रही है। साथ ही शनि जयंती 2022 के दिन ज्येष्ठ अमावस्या है, जो सोमवार के दिन है ऐसे में यह सोमवती अमावस्या मानी जाती है। इसी के साथ इस दिन नदियों में स्नान करने और दान करने से जातक को पुण्य फल प्राप्त होता है। इसी के साथ इस दिन शनि देव की विशेष पूजा की जाती है। और इस वर्ष शनि जयंती 30 मई सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इसके अलावा, शनि जयंती 2022 पर सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग भी बन रहा है। आपको बता दें कि इस साल शनि जयंती सोमवार के दिन है। और यह सोमवती अमावस्या मानी जाती है। इस दिन पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं व्रत भी रखती हैं। और धन-धान्य सुख, वैभव की प्राप्ति के लिए उपाय भी किए जाते हैं। शनि जयंती 2022 शुभ मुहूर्त ज्येष्ठ अमावस्या की शुरुआत: 29 मई, रविवार, दोपहर 02 बजकर 23 मिनट से होगी। ज्येष्ठ अमावस्या का समापन: 30 मई, सोमवार, शाम 03 बजकर 40 मिनट पर होगा। सोमवती अमावस्या 2022 तिथि: स्नान एवं दान, प्रात:काल से प्रारंभ होगा। शनि जयंती 2022 पर सोमवती अमावस्या और सर्वार्थ सिद्धि योग सोमवती अमावस्या यह अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है और ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सोमवार है, जिससे सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। आपको बता दें कि इस दिन नदी में स्नान करना और पितरों का तर्पण करना, दान आदि का कार्य करना काफी पुण्य का कार्य माना जाता है। और इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं। साथ ही भगवान से धन, सुख, वैभव आदि की प्रार्थना भी करती हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग शनि जयंती 2022 पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस योग में शनिदेव की पूजा करने से जातक की सारी मनोकामना पूर्ण होती है क्योंकि सर्वार्थ सिद्धि योग कार्य में सफलता प्रदान करने वाला योग माना जाता है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए पूजा पाठ का जातक को अवश्य फल प्राप्त होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग का समय सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 31 मई यानी मंगलवार की सुबह 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए यह मुहूर्त काफी शुभ है। सुकर्मा योग का समय सुबह से लेकर रात 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। यह काफी शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए मांगलिक कार्यों से जातक को अच्छा फल प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक शुभ मुहूर्त का समय है। शनि जयंती 2022 के दिन शनि चालीसा शनि मंत्र का जाप शनि देव की आरती आदि करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। पूजा विधि साथ ही शनि जयंती के दिन शनि भगवान की पूजा की जाती है, जिससे जातकों को शुभ फल प्राप्त होता है। इस दिन पूजा अनुष्ठान आदि का कार्य करने से शनि के दुष्प्रभाव को खत्म करने में मदद मिलती है। चलिए जानते हैं शनि जयंती के लिए पूजा विधि: जातक को शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्रों को धारण करना चाहिए। स्नान करने के बाद जातक को लकड़ी का एक स्टूल और उसके ऊपर काला कपड़ा बिछाना चाहिए। उसके बाद उस पर शनि देव की मूर्ति या फोटो को स्थापित करना चाहिए। शनि देव की मूर्ति या फोटो पर सरसों के तेल के तेल से शनि देव को स्नान कराना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए। जातक को शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए “ॐ शनिश्चराय नम: मंत्र का जाप जरूर करें। साथ ही आपको इस दिन काले कपड़े, काले जामुन, काली उड़द की दाल, काले जूते, काले तिल के बीज, लोहा, तेल आदि चीजों को दान करना चाहिए। इससे आपको शुभ फल प्राप्त होगा। शनि जयंती 2022 के दिन जातक को शनिदेव की पूजा करने के बाद उपवास का संकल्प लेना चाहिए। शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। साथ ही काली गाय की सेवा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिलता है। साथ ही रोजाना यह कार्य करने से शनिदेव की कृपा जातक पर बनी रहती है। अगर जातक सुखी जीवन प्राप्त करना चाहता है, तो सबसे पहले काली गाय को पहली रोटी खिलानी चाहिए और फिर उसके माथे पर लाल सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए। इससे जातक को काफी लाभ होता है। साथ ही हर शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। आप पीपल के पेड़ पर जल या दूध चढ़ा सकते हैं। इससे आपको शुभ फल प्राप्त होता है। पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाकर शनि की कृपा प्राप्त की जा सकती है। आपको शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए। साथ ही शनि की कृपा पाने के लिए जातक को अपने आहार में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करना चाहिए।