अक्षय त्रित्या का महत्व
इस दिन किये गए शुभ कार्य का शुभ फल अनन्त होता है,
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बिना महूर्त के कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं, जिसका अनन्त फल मिलता है,
इस दिन जो विवाह होते हैं उनमें स्वयं शिव-पार्वती आशीर्वाद देने आते हैं, ऐसी मान्यता है,
अक्षय तृतीया को सुदामा जी श्रीकृष्ण जी से मिलने द्वारका गए थे,
अक्षय तृतीया के ही दिन ही श्रीकृष्ण जी के वृंदावन में चरण दर्शन होते हैं,
इस दिन का किया गया पिंड दान मोक्ष प्रदान करता है,
इसी दिन ही गंगा जी प्रकट हुईं थीं,
इसी दिन वेदव्यास जी ने महाभारत लिखना प्रारंभ किया था,
भगवान विष्णुजी के छटे अवतार भगवान परसुराम जी का प्रकट्य हुआ था।
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